SURAH AL-KAHF : सूरह अल-कहफ़ पढ़ने की फ़ज़ीलत।
नबी अकरम सल्ललाहो अलयहे वसल्लम ने फ़रमाया।
जो शख्स ने सूरह कहफ़ (SURAH KAHF) की पहली 10 आयत को याद करे या पढ़े वो दज्जाल के फ़ितने से महफूज़ रहेगा।
(सहीह मुस्लिम 809)
"जो शख्स जुमा सूरह कहफ़ (SOORAH KAHF) पढता है तो उसके लिए 2 जुमा के दरमियानी मुद्दत के लिए नूर चमकता है। "
(मिश्कात 2175)
एक मर्तबा उसैद बिन हुज़ैर रात के वक़्त अपने घर में सूरह कहफ़ (SURAH KAHF) की तिलावत कर रहे थे उनका घोडा भी पास ही बंधा हुआ था, घोड़े ने उछलना कूदना शुरू कर दिया। उन्होंने आसमान की तरफ देखा तो उन्हें एक नूर दिखाई दिया जो एक बादल के टुकड़े की तरह उन पर साया किये हुए था। सुबह उन्होंने ये वाक़िया आप सल्ललाहो अलयहे वसल्लम को सुनाया तो सल्ललाहो अलयहे वसल्लम ने फ़रमाया " ये सकीनत थी जो उस की तिलावत की वजह से नाज़िल हुई थी। "
(सहीह बुखारी 3614)
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