निकाह किन लोगो से करना जाइज़ नहीं है।
दुनिया में इंसान के वजूद को बाक़ी रखने के लिए खुदा के क़ानून के मुताबिक़ दो ग़ैर जिन्स (Different ,) मर्द और औरत का आपस में मिलना ज़रुरी है, लेकिन उसी खुदा के क़ानून के मुताबिक़ कुछ ऐसे भी इंसान होते हैं जिन का जिन्सी तौर पर आपस में मिलना क़ानूने खुदा के ख़िलाफ़ है अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त अपनी पाकीज़ा किताब क़ुरआन मजीद में इरशाद फरमाता है कि
क़ुरआन:--- ह़राम हुईं तुम पर तुम्हारी माँ ऐं और बेटियां और बहनें और फूफियां और खाला ऐं और भतीजियां और भांजियां और तुम्हारी माँ ऐं जिनहोने दूध पिलाया और दूध की बहनें और औरतों की माँ ऐं
पारा 4 सूरह निसा आयत 23
क़ुरआन मजीद की इस आयत से मालूम हुआ कि माँ, बेटी, बहन, फूफी, खाला, भतीजी, भानजी, दादी, नानी, पोती, नवासी, सगी सास, वगैरह से निकाह़ ह़राम है
मस्अला:--- माँ, सगी हो या सौतेली, बेटी सगी हो या सौतेली, बहन सगी हो या सौतेली, इन सबसे निकाह ह़राम है, इसी तरह दादी पर दादी, नानी पर नानी, पोती पर पोती, नवासी पर नवासी, बीच में चाहे कितनी ही पुश्तों ( पीढ़ियों ) का फासला हो, इन सबसे निकाह ह़राम है
मस्अला:--- फूफी, फूफी की फूफी, खाला, खाला की खाला, भतीजी, भानजी, भतीजी की लड़की, उसकी नवासी, पोती इसी तरह भानजी की लड़की, उसकी पोती, नवासी, इन सबसे भी निकाह ह़राम है,
मस्अला:--- ज़िना से पैदा हुई बेटी, उसकी बेटी, उसकी नवासी, पोती, इन सबसे भी निकाह ह़राम है,
बहारे शरीयत जिल्द1 हिस्सा 7 सफह 14
क़ानूने शरीयत जिल्द2 सफह 47
ह़दीस:--- ह़ज़रत अमरा बिन्त अब्दुर्रहमान व ह़ज़रत मौला अली, रज़ियल्लाहु तआला अनहुमा से रिवायत है कि सरकारे मदीना सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया,
रज़ाअ़त यानि दूध के रिश्तों से भी वही रिश्ते ह़राम हो जाते हैं जो विलादत से ह़राम हो जाते हैं
बुखारी शरीफ़ जिल्द 3 सफह 62
तिर्मिज़ी शरीफ जिल्द 1 सफह 587
यानि किसी औरत का दूध बचपने के आलम में पिया तो उस औरत से माँ का रिश्ता हो जाता है, अब उसकी बेटी बहन है, उस से निकाह ह़राम है, यानि जिस तरह सगी माँ के जिन रिश्तेदारों से निकाह ह़राम है उसी तरह उस दूध पिलाने वाली औरत के रिश्तेदारों से भी निकाह ह़राम है
मस्अला:---- निकाह ह़राम होने के लिए ढ़ाई बरस का ज़माना है, कोई औरत किसी बच्चे को ढ़ाई बरस की उम्र के अन्दर अगर दूध पिलाएगी तो निकाह ह़राम होना साबित हो जायेगा, और अगर ढ़ाई बरस की उम्र के बाद पिया तो निकाह ह़राम नहीं, अगरचे बच्चे को ढ़ाई बरस के बाद दूध पिलाना ह़राम है
बहारे शरीयत जिल्द 1 हिस्सा 7 सफह 19
क़ानूने शरीयत जिल्द 2 सफह 50
ह़दीस:--- ह़ज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया
कोई श़ख्स अपनी बीवी के साथ उसकी भतीजी, या भानजी से निकाह न करे
बुखारी शरीफ़ जिल्द 3 ह़दीस 98 सफह 66
मस्अला:--- औरत (बीवी) की बहन चाहे सगी हो या रज़ाई, यानि दूध के रिश्ते से बहन हो, या बीवी की खाला, फूफी चाहे रज़ाई फूफी या खाला हो इन सबसे निकाह करना ह़राम है
मस्अला:--- अगर बीवी को तलाक दे दी तो जबतक इद्दत न गुज़रे उसकी बहन, फूफी, या खाला, से निकाह नहीं कर सकता,
क़ानूने शरीयत जिल्द 2 सफह 48
ह़दीस:--- ह़ज़रत अब्दुल्ला इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से इमाम बुखारी ने रिवायत किया
चार से ज़्यादा बीवियां इसी तरह ह़राम है जैसे आदमी की बेटी और बहन,
बुखारी शरीफ़ जिल्द 3 बाब 54 सफह 64
यानि कि एक साथ में चार बीवी से ज़्यादा नहीं रख सकता
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