वाह क्या मर्तबा है गौस है बाला तेरा / WAAH KYA MARTABA HAI GOUS HAI BAALA TERA
शायर - इमाम अहमद रज़ा खान साहब बरेलवी
गौस पाक मनकबत
गौस पाक नात
1-वाह क्या मर्तबा है गौस है बाला तेरा
ऊँचे ऊँचो के सरों से कदम आला तेरा
2-सर भला क्या कोई जाने की है कैसा तेरा
औलिया मलते है आखें वोह है तलवा तेरा
3-क्या दबे जिस पे हिमायत का हो पंजा तेरा
शेर को खतरे में लाता नहीं कुत्ता तेरा
4-तू हुसैनी हसनी क्यों न मोहियुद्दीन हो
ऐ खिज़र मजमय बहरैन है चश्मा तेरा
5-कस्मे दे दे के खिला है पिलाता है तुझे
प्यारा अल्लाह तेरा चाहने वाला तेरा
6-मुस्तफा के तने बे साया का साया देखा
जिस ने देखा मेरी जां जलवय ज़ेबा तेरा
7-इब्ने ज़हरा को मुबारक हो अरुसे कुदरत
कादरी पायँ तसद्दुस मेरे दूल्हा तेरा
8-क्यों न कासिम हो की तू इब्ने अबिल कासिम है
क्यों न कादिर हो की मुख्तार है बाबा तेरा
9-नबवी मींह, अल्वी फ़स्ल, बतूली गुलशन
हसनी फूल हुसैनी है महकना तेरा
10-नबवी ज़िल, अल्वी बुर्ज, बतूली मंज़िल
हसनी चाँद हुसैनी है उजाला तेरा
11-नबवी खुर, अल्वी कोह, बतूली मादिन
हसनी लाल, हुसैनी है तजल्ला तेरा
12-बहर- ओ बर, शहर- ओ कुरा, सहल ओ हूजुन, दश्त-ओ- चमन
कौन से चक पे पोहोचता नहीं दावा तेरा
13-हुस्न-ए-नियत हो खता फिर कभी करता ही नहीं
आज़माया है यगाना है दोस्ताना तेरा
14-अर्ज़ अहवाल की प्यासों में कहाँ ताब मगर
आंख्ने, ऐ अब्र करम ! तक्ति है रस्ता तेरा
15-मौत नज़दीक गुनहगारों की तहे, मैल के खौल
आ बरस जा के नहा धो ले ये प्यासा तेरा
16-आब आमद वो कहे और में तयम्मुम बर्खास्त
मुश्त ख़ाक अपनी हो और नूर का अहले तेरा
17-जान तो जाते ही जायगी क़ियामत यह है
की यहाँ मरने पे ठहरा है नज़ारा तेरा
18-तुझ से दर दर के है सग और सग से है मुझको निस्बत
मेरी गर्दन में भी है दूर का डोरा तेरा
19-इस निशानी के जो सग है नहीं मारे जाते
हश्र तक मेरे गले में रहे पट्टा तेरा
20-मेरी किस्मत की कसम खायं सगाने बग़दाद
हिन्द में भी हूँ तो देता रहूं पहरा तेरा
21-तेरी इज़्ज़त के निसार ऐ मेरे ग़ैरत वाले
आह सद आह की यूँ ख्वार हो बिखरा तेरा
22-बद सही, चोर सही, मुजरिम नाकारा सही
ऐ वोह कैसा ही सही है तो करीमा तेरा
23-मुझ को रुस्वा भी अगर कोई कहेगा तो यूँही
की वोही ना, वोह रज़ा बंदय रुस्वा तेरा
24-है रज़ा यूँ बिलक तू नहीं जय्यिद तो न हो
सैयदे जय्यिदे हर दहर है मौला तेरा
25-फख्रे आँका में रज़ा और भी इक नज़्में रफ़ीअ
चल लिखा लायेँ सना ख्वानो में चहरा तेरा
शायर - इमाम अहमद रज़ा खान बरेलवी
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