एक मुसलमान बोहोत अच्छा मुसलमान रह सकता है शाकाहारी रहने के बाद भी क्योंकि अल्लाह ने कुरान में फरमाया है की आप उन चार पायो जानवरों का गोश्त खा सकते है जिनकी हमने (अल्लाह) ने इजाजत दी है ।
आज की साइंस यह कहती है कि हमारे जिस्म में कम से कम 23 अमायनो एसिट की जरूरत होती है इन 23 में से 8 एसिट हमारे जिस्म में नही बनते इन 8 एसिट के लिए हमे बाहर से खाने की जरूरत होती है और कोई भी हरी सब्ज़ी वेजिटेबल इसी नही है जिसमे हमे ये 8 एसिट मिलते हो।
लेकिन गोश्त एक ऐसा फूड है जिसमे हमे ये 8 अमाइनो एसिट मिल जाते है जिसे साइंस कहती है कंप्लीट फूड ।
साइंस कहती है की फ्लैश (गोश्त) में प्रोटीन है नियासिन है विटामिन B1 है । इससे सेहत अच्छी बनती है ।
अगर आप देखेंगे कि जो जानवर शाकाहारी होते है उनके दांत फ्लैट होते है वो सिर्फ वेजिटेबल ही खा सकते है गोश्त नही खा सकते और बोहोत से जानवर इसे होते है जिनके दांत नुकीले होते है ये सिर्फ गोश्त खा सकते है वेजिटेबल नही खा सकते ।
लेकिन जब हम इंसान अपने दांतो को देखते है तो हमे पता चलता है की हमारे मुंह में नुकीले दांत भी है और फ्लैट भी है ।
क्योंकि इंसान दोनो चीज़े खा सकता है गोश्त भी और वेजिटेबल भी ।
अब हम इस बात पर गौर करे की जो जानवर शाकाहारी होते है अगर वो गोश्त खाएंगे तो उनको गोश्त डाइजेस ही नही होगा वो उसे पचा ही नही पाएंगे क्योंकि उनके शरीर की बनावट nanvage मसाहरी वाली नही है ।
इसी तरह वो जानवर जो गोश्त खाते है वो अगर वेजिटेबल हरी सब्जियां खाएंगे तो उनको भी वो पचा नहीं पाएंगे ।क्योंकि उनका शरीर मसाहार के हिसाब से बना हुआ है ।
लेकिन इंसानों का शरीर ऐसा होता है जो शाकाहार और मसाहार दोनो को एडजस्ट कर सकता है और उनके मुंह के अंदर दोनो प्रकार के दांत मौजूद होते है ।इससे ये पता चलता है की इंसान दोनो प्रकार के खाने को खा सकता है ।
अगर अल्लाह नही चाहता की इंसान मांस न खाए तो वो उसे ऐसा शरीर ही क्यों देता जिसमे वो दोनो खाने को एडजस्ट कर सके।
बोहोत से हिंदू ये समझते है की उनके मजहब में गोश्त खाना मना है। ऐसा बिलकुल भी नही है हिंदू मजहब में भी गोश्त खाना मना नहीं है ।
मनुईस्मृति के अध्याय नंबर 5 श्लोका नंबर 30 में लिखा है की अगर खाने वाले अगर खाने वाले जानवर को खाते है तो कुछ गलत नही कर रहे ।
मनुस्मृति के अध्याय नंबर 5 श्लोका नंबर 31 में की अगर आप पूजा के लिए जानवर की बलि देते है तो कोई गुनाह नही करते।
इसे बोहोत से इलाके है दुनिया में जहां आज भी लोग शिकार कर के अपनी जिंदगी गुज़ार रहे है अगर गोश्त खाने की पाबंदी होती तो ये लोग कैसे सर्वाइव कर पाते ।
अल्लाह ने कुरान में बताया है की उन जानवरों को आप खा सकते हो जिनकी इजाज़त दी गई है और जिनकी इजाज़त नही दी गई उन्हें ना खाएं। अल्लाह किसी पर भी ज्यादती नही करता ।
मांस खाना किसी भी मुसलमान के लिए जरूरी नही है लेकिन अल्लाह ने इजाज़त दी है कुछ जानवरों का मांस खाने की सिर्फ इजाज़त दी है फर्ज़ नही किया गया अगर खाना चाहते हो तो खा सकते है नही खाना चाहते तो मत खाओ।
0 टिप्पणियाँ