EK ME HI NAHI UN PAR QURBAN ZAMANA HAI....
एक मैं ही नहीं उन पर क़ुर्बान ज़माना है हिंदी में लिखा हुआ
१-एक मैं ही नहीं उन पर कुर्बान ज़माना है जो रब्बे दो आलम का महबूब यगाना है
२-कल पुल से हमें जिसने खुद पार लगाना है
ज़हरा का वो बाबा है हसनैन का नाना है
३-आओ दरे ज़ाहरा पर फैलाए हुए दामन
है नस्ल करीमो की लजपाल घराना है
आका तुम्हारे ही दरबार का हूं में मांगता
तुम्हारे ही टुकड़ों का हो मेरा गुज़ारा
जो तुमसे ना मांगू तो किस्से मांगू
तुम्हारा तो सारा घराना सखी है
४-इज्जत से न क्यों मर जाएं हम नामे मोहम्मद पर
यूंही किसी दिन हमको दुनिया से तो जाना है
५-महरूमे करम इसको रखना न सरे महशर
जैसा है नसीरा फिर मांगता तो पुराना है
जैसा है नसीरा फिर साहिर तो पुराना है
एक मैं ही नहीं उन पर कुर्बान ज़माना है
जो रब्बे दो आलम का महबूब यगाना है
1-Ek me hi nhi un par qurbaan zamana hai
Jo rabbe do aalam ka mahboob yagana hai
2-Kal pul se hame jisne khud paar lagana hai
Zahra ka vo baba hai husnain ka Nana hai
3-Aao dare Zahra par failay hue daman
Hai nasl kareemo ki lajpaal gharana hai
Aaka tumhare hi darbar ka hun me mangta
Tumhare tukdon se mera guzara
Jo tumse na maangu to kisse maangu
Tumhara to pura gharana sakhi hai
4-Izzat se na kyu mar jaayn hum naame Mohammad par
Yunhi kisi din hamko duniya se to jana hai
5-Mahroome karam isko rakhna na sare mahshar
Jaisa hai nasira fir mangta to purana hai
Jaisa hai nasira fir sahir to purana hai
Ek mai hi nhi un par qurbaan zamana hai
Jo rabbe do aalam ka mahboob yagana hai
...SHERE IT TO EVERYONE...
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