KAABE KE BADRUDDUJA TUM PAR KARORO DUROOD
काबे के बदरुद्दूजा तुम पे करोड़ों दुरूद
तयबा के शमशुद्दुहा तुम पे करोड़ों दुरूद
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शाफेय रोज़े जज़ा तुम पे करोड़ों दुरुद
दाफेय जुमला बला तुम पे करोड़ों दुरुद
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जानो दिल असफिया तुम पे करोड़ों दुरूद
आबो गिले अंबिया तुम पे करोड़ों दुरुद
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लाएं तो यह दूसरा दो सरा जिस को मिला
कुश्के अर्शों दना तुम पे करोड़ों दुरूद
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और कोई गैब क्या तुम से निहाँ हो भला
जब न खुदा ही छुपा तुम पे करोड़ों दरूर
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तूर पे जो शमअ था चांद था साईर का
नय्यरे फांरा हुवा तुम पे करोड़ों दुरुद
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दिल करो ठंडा मेरा वोह कफे पा चांद सा
सीने पे रख दो ज़रा तुम पे करोड़ों दुरुद
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ज़ात हुई इंतिखाब वस्फ हुए ला जवाब
नाम हूवा मुस्तफा तुम पे करोड़ों दुरूद
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गा – यतो इल्लत सबब बहरे जहां तुम हो सब
तुम से बना तुम बिना तुम पे करोड़ों दुरुद
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तुम से जहां की हयात तुम से जहां का सबात
अस्ल से है ज़िल बंधा तुम पे करोड़ों दुरुद
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मग्ज़ हो तुम और पोस्त और है बहार के दोस्त
तुम हो दरूने सरा तुम पे करोड़ों दुरूद
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क्या है जो बेहद है लॉस तुम तो गैस और गौस
छींटे में होगा भला तुम पे करोड़ों दुरुद
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तुम हो हफीजों मुगीस क्या है वोह दुश्मन खबीस
तुम हो तो फिर खौफ क्या तुम पे करोड़ों दुरूद
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वोह शबे मेराज राज वोह सफे महशर का ताज
कोई भी ऐसा हुवा तुम पे करोड़ों दुरूद
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हम ने खता में न की तुम ने अता में न की
कोई कमी सरवरा तुम पे करोड़ों दुरूद
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काम वो ले लीजिए तुम को जो राज़ी करे
ठीक हो नामे रज़ा तुम पे करोड़ों दुरुद
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