Kaabe Ke Badrudduja Tum Pe Karoro Durood | Islamic Shayari

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KAABE KE BADRUDDUJA TUM PAR KARORO DUROOD

Kaabe Ke Badrudduja Tum Pe Karoro Durood


काबे के बदरुद्दूजा तुम पे करोड़ों दुरूद

तयबा के शमशुद्दुहा तुम पे करोड़ों दुरूद

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शाफेय रोज़े जज़ा तुम पे करोड़ों दुरुद

दाफेय जुमला बला तुम पे करोड़ों दुरुद

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जानो दिल असफिया तुम पे करोड़ों दुरूद

आबो गिले अंबिया तुम पे करोड़ों दुरुद

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लाएं तो यह दूसरा दो सरा जिस को मिला

कुश्के अर्शों दना तुम पे करोड़ों दुरूद

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और कोई गैब क्या तुम से निहाँ हो भला

जब न खुदा ही छुपा तुम पे करोड़ों दरूर

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तूर पे जो शमअ था चांद था साईर का 

नय्यरे फांरा हुवा तुम पे करोड़ों दुरुद

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दिल करो ठंडा मेरा वोह कफे पा चांद सा

सीने पे रख दो ज़रा तुम पे करोड़ों दुरुद

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ज़ात हुई इंतिखाब वस्फ हुए ला जवाब

नाम हूवा मुस्तफा तुम पे करोड़ों दुरूद

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गा – यतो इल्लत सबब बहरे जहां तुम हो सब 

तुम से बना तुम बिना तुम पे करोड़ों दुरुद

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तुम से जहां की हयात तुम से जहां का सबात

अस्ल से है ज़िल बंधा तुम पे करोड़ों दुरुद

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मग्ज़ हो तुम और पोस्त और है बहार के दोस्त

तुम हो दरूने सरा तुम पे करोड़ों दुरूद

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क्या है जो बेहद है लॉस तुम तो गैस और गौस

छींटे में होगा भला तुम पे करोड़ों दुरुद

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तुम हो हफीजों मुगीस क्या है वोह दुश्मन खबीस

तुम हो तो फिर खौफ क्या तुम पे करोड़ों दुरूद

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वोह शबे मेराज राज वोह सफे महशर का ताज 

कोई भी ऐसा हुवा तुम पे करोड़ों दुरूद

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हम ने खता में न की तुम ने अता में न की 

कोई कमी सरवरा तुम पे करोड़ों दुरूद

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काम वो ले लीजिए तुम को जो राज़ी करे

ठीक हो नामे रज़ा तुम पे करोड़ों दुरुद

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