ﺑِﺴْـــــــــــــﻢِﷲِالرَّحْمٰنِﺍلرَّﺣِﻴﻢ
ISLAMI SAWAL JAWAB / ISLAMIC QUIZ / ISLAMIC QUESTION ANSWER
1-सवाल :- सारी मखलूकात में किस की तादाद ज़्यादा है?
जवाब :-फ़रिश्तों की ताताद ज़्यादा है हदीस शरीफ में है कि अगर सारी मखलूकात को दस हिस्सों में तकसीम किया जाए। तो नौ हिस्से फ़रिश्तों के हैं और एक हिस्सा सारी मखलूकात का।
(तक्मीलुल ईमान पेज 9, तफसीर जुमल 4 पेज 534)
2-सवाल :- क्या सब फ़रिश्ते एक ही बार में पैदा हो गये या उनकी पैदाइश का सिलसिला जारी है?
जवाब :- पैदाइश का सिलसिला जारी है। हदीस शरीफ़ में है कि अर्श की दाहनी तरफ़ नूर की एक नहर है, सातों आसमान और सातों ज़मीन और सातों समुन्द्रों के बराबर, इसमें हर सुबह हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम नहाते है। जिससे उनके नूर पर नूर और जमाल पर जमाल बढ़ता है, फिर पर झाड़ते हैं तो जो बूंद गिरती है तो अल्लाह तआला उस से उतने उतने हज़ार फ़रिश्ते बनाता है। दूसरी हदीस में है कि चौथे आसमान में एक नहर है। जिसे नहरे हयात कहते हैं, हज़रत जिब्राईल हर रोज़ उसमें नहाकर पर झाड़ते हैं जिससे सत्तर हज़ार कतरे झड़ते हैं और अल्लाह तआला हर कतरे से एक-एक फ़रिश्ता पैदा करता है।
(मवाहिब लदुन्निया 2 पेज 26, अलहिदायतुल मुबारका पेज 9)
3- सवाल :- क्या इसके इलावह कोई ओर भी सूरत है जिससे फ़रिश्ते पैदा होते हैं?
जवाब :- हाँ एक फ़रिश्ता और है जिसका नाम रुह है यह फ़रिश्ता आसमान और ज़मीन और पहाड़ों से बड़ा है, कयामत के दिन तमाम फ़रिश्ते एक सफ़ में खड़े होंगे और यह फ़रिश्ता तनहा एक सफ़ में खड़ा होगा तो इन सब के बराबर होगा। यह फ़रिश्ता चौथे आसमान में हर रोज़ बारह हज़ार तसबीहें पढ़ता है और हर
तसबीह से एक फ़रिश्ता बनता है, दूसरी हदीस में है कि रुह एक फ़रिश्ता है जिसके सत्तर हज़ार सर हैं और हर सर में सत्तर हज़ार चहरे और हर चहरे में सत्तर हज़ार मुँह और हर मुँह में सत्तर हज़ार ज़ुबानें और हर जुबान में सत्तर हज़ार लुगत यह उन सब लुग़तों से अल्लाह की तसबीह करता है और हर तसबीह से अल्लाह तआला एक फ़रिश्ता पैदा करता है। इसी तरह हदीस में है कि हमारे आका सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम ने फ़रमाया जो मुझ पर मेरे हक़ की ताज़ीम के लिये दुरुद भेजे अल्लाह तआला उस दुरुद से एक फ़रिश्ता पैदा करता है जिसका एक पर पूरब और एक पश्चिम में होता है अल्लाह तआला उससे फ़रमाता है दुरुद भेज मेरे बन्दे पर जैसे उसने मेरे नबी पर दुरुद भेजी। पस वह फ़रिश्ता क़यामत तक उस पर दुरुद भेजता रहेगा। इसी तरह नेक कलाम, अच्छा काम फ़रिश्ता बनकर आसमान की तरफ बुलन्द होता है।
(खाज़िन व मआलिम 4 पेज 148, जिल्द 7 पेज 169 उम्दतुलकारी जिल्द 9 पेज 16 अलहिदायतुल मुबारकह पेज 6 ता 11 )
4-सवाल :- किया लड़की बाल कटवा सकती है और पलकें या भवें वगैरह भी कटवा सकती है अगर किसी लड़की या लड़के की भंव या पलक के बाल बहुत जल्दी बढ़ जातें हैं तो क्या उसे काट सकते हैं?
जवाब :- लड़की का बाल काटना मर्द से मुशाबा है जो कि ह़राम है वहीं मैंकप के तौर पर भंव काटना भी नाजायज़ है मगर ये कि अगर भंव और पलक वगैरह के बाल बाज़ यानि कि कुछ लोगों के बड़े बड़े हो जातें हैं तो ऐसी सूरत में उसे काट सकते हैं।
5-सवाल :-मुर्गी वगैरह ज़िबह करने के बाद ग्रम पानी में डाल देते हैं ताकि उसको साफ करने में आसानी हो,ऐसा करना सही है या नहीं कुछ लोग ह़राम बताते हैं किया ये सही है?
जवाब :- मुर्गी ज़िबह करने के बाद साफ करने के लिए ग्रम पानी में डाल सकते हैं कोई हरज नहीं अगर कोई कहे कि इस से मुर्गी ह़राम हो जाती है तो ये गलत है,हाँ अगर कोई तिब्बी नुकसान हो तो और है वो हुकमा जानें।
*फतावा फैज़ुर्रसूल जिल्द 2 सफह 428*
6-सवाल :- कहाँ कहाँ सलाम करना मना है?
जवाब :- आज़ान के वक्त,खुत्बे के वक्त,खाना खाते वक्त,आलिम का इल्म बयान करते वक्त,ज़िक्र या तिलावत या दर्स के वक्त सलाम करना मना है इसी तरह कोई टोइलेट या बाथरुम में हो या कोई पतंग बाज़ी कबूतर बाज़ी या शतरंज वगैरह खेल रहा हो तो उस से सलाम करना मना है।
*बहारे शरीयत हिस्सा 16 सफह 91*
क्या शौहर और बीवी अपने कपड़े उतार कर सो सकते है ?
7-सवाल :- अगर नमाज़ में सीना खुला दिख रहा हो तो क्या नमाज़ हो जायेगी?
जवाब :- मकरूहे तह़रीमी यानि कि नाजायज़ है नमाज़ को दोहराना वाजिब है नहीं दोहरायेगा तो गुनहगार होगा।
*फतावा रज़विया जिल्द 3 सफह 447*
8-सवाल :-किया फजर के फौरन बाद नफ्ल पढ़ सकते हैं?
जवाब :- सुबह सादिक़ से लेकर तुलूवे आफताब तक मतलब कि फजर के पूरे वक्त में नफ्ल पढ़ना जायज़ नहीं है यहाँ तक कि अगर किसी की फजर की सुन्नत छूट गयी और फर्ज़ पढ़ने के बाद पढ़ना चाहता है तो नहीं पढ़ सकता जब तक कि सूरज ना निकल आये और उसके 20 मेंनट बाद सुन्नत की क़ज़ा पढ़ें,तो सूरज निकलने के 20 मेन्ट बाद ही नफ्ल पढ़ें।
*फतावा रज़विया जिल्द 3 सफह 620*
*बहारे शरीयत हिस्सा 3 सफह 24*
9-सवाल :-किया क़ब्र पर पानी भी छिड़का जाता है?
जवाब :- बिलकुल छिड़का जाता है और रिवायत में आता है कि हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के साहबज़ादे हज़रते इब्राहिम की क़ब्र पर पानी छिड़का गया था।
*मदारेजुन नुबूवत जिल्द 2 सफह 775*
10-सवाल :-औरतों का किसी भी मज़ार पर जाना नाजायज़ कहा जाता है तो हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की क़ब्रे अनवर पर जाना कैसा है?
जवाब :- रौज़ये अनवर की ह़ाज़िरी के बारे में उलमा इकराम सिर्फ सुन्नत ही नहीं बल्कि वाजिब तक फरमाते हैं कियोंकि क़ुरआन का हुक्म है कि ऐ ईमान वालो जब तुम अपनी जानों पर ज़ुल्म कर लो तो हुज़ूर की बारगाह में हाज़िर हो जाओ तो मर्द हों या औरत दोनों का हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के रौज़े की ज़यारत करना उसे मनाही में शामिल नहीं बाकी किसी की भी मज़ार हो इजाज़त नहीं।
*अलमलफूज़ हिस्सा 2, सफह 107*
11-सवाल :-क़ुरआन पाक सबक़ के दौरान अगर तालिबे इल्म भूल जाये तो क़लम से निशान या तारीख डाल सकते हैं?
जवाब :- क़ुरआन पाक में कुछ भी लिखना चाहे तारीख हो या निशान हो क़ुरआन पाक का अदब के खिलाफ है बेहतर है कि क़लम से कुछ भी ना लिखें हां एक कागज़ कोलोर वाला आता है उसे छोटा करके ज़ुबान पर रखकर कि इस से चिपक जायेगा निशान लगा दें और बाद में उसे छोड़ा दे इसमें कोई हरज नहीं और ऐसा कर सकते हैं।
12-सवाल :-कुछ मर्द वो औरतें नाखून पालिश लगाती हैं इसका किया हुक्म है?
जवाब :- अक्सर औरतें अपने हाथ या पैर में नाखून पर पालिश लगाती हैं नाखून पालिश में अलकोहल होता है जो कि शरीयत में हराम है मर्दों के लिए तो बहुत ही ज़्यादा सख्त हराम वो गुनाह है कि औरतों से मुशाबहत पैदा करना है नाखून पालिश की वजह से गुस्ल वज़ू करते वक्त पानी नाखून पर नहीं लगता पालिश पर लगकर फिसल जाता है जिसकी वजह से गुस्ल या वज़ू नहीं होता जब गुस्ल ही नहीं हुआ तो नापाक ही रहा और नापाकी की ह़ालत में नमाज़ पढ़ी तो नमाज़ ना होगी और जानबूझकर नापाक रहना सख्त गुनाह है अल्लाह ना करे अगर इस ह़ालत में मौत आगायी तो इसका वबाल अलग और नापाकी में अक्सर शरीर जिन्नात का भी असर हो जाता है इसलिए औरतों को चाहिए कि नाखून पालिश ना लगायें।
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