शौहर अगर नामर्द हो तो बीवी क्या करे सही हदीस से समझे

 शौहर अगर नामर्द हो तो बीवी क्या करें।

बोहोत बार ऐसा होसा होता है की मर्द शादी के लायक नहीं होता उसमे हमबिस्तरी की ताकत नहीं होती और वो शर्मिंदगी की वजह से ये बात अपने घर वालो को भी नही बता पाता और डॉक्टर से भी अपना ठीक तरह से इलाज नहीं करवा पाता और घर वाले उसका निकाह कीसी लड़की से करवा देते है और शादी के बाद उस लड़की को पता चलता है शोहर तो नामर्द है। तो अब ऐसे में उस लड़की को क्या करना चाहिए। 


अगर शौहर नामर्द हो तो बीवी को चाहिए की अपने शौहर का साथ दे सब्र करे और अपने शौहर का इलाज वगैरा करवाए और सब्र के साथ काम ले 

अब अगर ये सब कुछ करने के बाद भी और सब्र भी बोहोत कर लिया और इलाज भी करवा लिया लेकिन सब कुछ पहले जैसा ही रहा कुछ भी ठीक नहीं हुआ । और अब औरत को ऐसा लगने लगा की अगर उसका शौहर ठीक नहीं हुआ तो वो गुनाह कर सकती है मसलन किसी और मर्द की तरफ उसका झुकाओ हो सकता है तो ऐसी सूरत में वो औरत अपने शौहर से तलाक ले सकती है और जहां चाहे निकाह कर सकती है ।

शौहर तलाक न दे तो क्या करें।

अगर शौहर तलाक देने से मना कर देता है तो वो औरत किसी काज़ी के पास जाकर खुला की इजाज़त ले सकती है जिससे वो काज़ी खुला की इजाज़त दे कर तलाक का फ़रमान जारी कर सकता है ।

हदीस शरीफ में आता है की-

हदीस–एक बार एक औरत हुज़ूर सल्लल्लाहो अलयहे वसल्लम की बारगाह में आकर बोहोत ही शराफाना अंदाज़ में कहती है की ऐ अल्लाह के नबी मैं मेरे शौहर से खुश नहीं हूं उसका कहना था की मेरा शौहर नामर्द है और मैंने कई मर्तबा उसे तलाक देने को कहा लेकिन वो तलाक देने से मना करता है ।

उसके बाद हुज़ूर ने उस शख्स को अपने पास बुलवाया और उससे फरमाया की ऐ शख्स तुम अपनी बीवी को तलाक देदो ।

तो इस हदीस से हमे ये मालूम होता है की अगर बीवी को शादी के बाद ये पता चलता है की उसका शौहर हम्बिस्तारी की ताकत नहीं रखता तो वो औरत उससे तलाक ले सकती है।

हज़रत उमर के ज़माने में इसी तरफ का एक वाक़्या पेश आया-

रिवायत–हज़रत उमर के ज़माने में एक शख़्स इब्ने मुजिर नाम का था उसने एक औरत से निकाह किया लेकिन इब्ने मुजिर नामर्द था यानी के उसमे हम्बिस्तरी की ताकत नहीं थी जब यह मामला हजरत उमर के पास पोहचा तो हज़रत उमर ने इब्ने मुजिर से पूछा क्या तुम्हारी बीवी इस बात से वाकिफ है तो उन्होंने जवाब दिया की नहीं उसे इसका इल्म नही है फिर हज़रत उमर ने उनसे कहा की अपनी बीवी को सच सच बता दो और उसे इख्तियार देदो इसके बाद हज़रत उमर ने एक साल तक इस मामले को रोके रखा फिर आपने एक साल के बाद देखा की इब्ने मुजिर वैसा ही है जैसा पहले था तो फिर आपने तलाक का फरमान जारी कर दिया।

नोट- याद रहे नामर्दानगी का मतलब यह नहीं होता की बच्चे नहीं हो रहे बच्चे होना या नहीं होना ये एक अलग मसला है जो मर्द बच्चे पैदा नहीं कर सकते या जिनके बच्चे नहीं हो रहे है उन मर्दो के अंदर भी शहवत होती है वो अपनी बीवी को शारीरिक ख़ुशी पूरी तरह से दे सकते है। 

नामर्दानगी वो है की मर्द के अंदर शहवत बिलकुल भी न हो यानि सेक्स की ख्वाहिश हो ही न अपनी बीवी के पास जाता ही न हो और आगे भी कोई ऐसी सूरत नहीं हो की वो थीक हो जाय। 

कोई मसला हो तो हमें कमेंट करके बताए। 

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