लाइफ इन्शुरेन्स ( life insurance) कराना कैसा है इस्लाम में – क्या लाइफ इंश्योरेंस (life insurance) कराना जायज़ है।
LIFE INSURANCE IN ISLAM
बोहोत से मुफ्तियाने इकराम जीवन बीमा को नाजाइज़ बताते है इसकी वजह यह है की इसमें सूदी कारोबार का होना। अगर किसी कम्पनी से अपने जीवन बीमा कराया और वो कम्पनी सूद का कारोबार करती है तो इससे मिलने वाला नफा नाजायज व हराम होगा।
इंश्योरेंस हराम है या हलाल ये इस बात पर निर्भर करता है की आपने इंश्योरेंस किस तरीके से और क्या नियत रख कर और कहां से करवाया है ।
1– अगर आप एक कंपनी में जॉब करते है और उस कंपनी में जॉब करने की शर्त यह है की आपको इंश्योरेंस लेना (compulsory) ज़रूरी है नहीं तो आप जॉब नहीं कर पाएंगे तो ऐसी स्थिति में आप इंश्योरेंस ले सकते है और इससे मिलने वाला नफा (फायदा) भी ले सकते है ये जायज़ है। क्योंकि इसमें उस इंसान का इख्तियार नहीं है उसे लेना ही पड़ेगा तो ऐसी सूरत में ये जायज़ है ।
2–अगर आप किसी ऐसे मुल्क में रहते है जो गैर मुस्लिम मुल्क है और वो कंपनी भी गैर मुस्लिम है जिससे आपको इंश्योरेंस (life insurance) करवाना है और उसमे किसी मुसलमान का कोई शेयर भी न हो तो ऐसी कंपनी से इंश्योरेंस करा सकते है और उससे मिलने वाला फायदा नफा भी ले सकते है ।शर्त यह है की उसमे किसी मुसलमान का शेयर न हो मतलब वो कंपनी पूरी तरह से गैर मुस्लिम की ही हो।
3–अगर कोई इंश्योरेंस (life insurance) खुद करवाना चाहता है और वो एक मुसलमान मुल्क में है इंश्योरेंस कंपनी भी मुसलमान की है और कोई कानूनी मजबूरी नही है कोई शर्त नही है खुद ही करवाना चाहता है तो ऐसी सूरत में इंश्योरेंस न करवाए क्योंकि इसमें सूद ब्याज (intrest) का मसला होता है तो न करवाए तो बेहतर है ।
अगर आप तकवे वाले इंसान है परहेज़गार है तो इंश्योरेंस न करवाए तो ज्यादा मुनासिब है अगर कोई मजबूरी नहीं है तो ।
हमें चाहिए की हम अल्लाह पर भरोसा रखें अपने आगे के बारे में ज़्यादा सोचना ठीक नही है हां एतियाद करना चाहिए थोड़ा बोहोत बचा लिया आमदनी अच्छी है तो बाकी अल्लाह पर भरोसा रखें ।
बेहतर यह है की आप पहले किसी मुफ्तियाने किराम से राब्ता करें उसके बाद काम करें।
अगर आपका कोई सवाल है तो हमे कमेंट करें।
....शेयर करें।....
0 टिप्पणियाँ