नींद से वूज़ू टूटने का मसला।
अक्सर देखा गया है की मस्जिद के अंदर नमाज़ के इंतजार में लोग बैठे है और उन्हें नींद की झपकी आ गई या ऊंघने लगे वह समझते है की हमारा वूजू टूट गया और वह खुद या किसी के टोकने से दोबारा वूजू करने लगते है यह गलत है ।
मसला यह है की ऊंघने या बैठे बैठे झोंके लेने से वुजू नही टूटता
(बहारे शरीयत , हिस्सा दोम , सफ़हा २७)
तिरमिजी और अबू दाऊद की हदीस में है रसूलुल्ला के साहब इकराम मस्जिद में नमाज़ ईशा के इंतजार में बैठे बैठे सोने लगते थे यहां तक की उनके सर नींद की वजह से झुक झुक जाते थे फिर वह दोबारा बगैर वुजू किए नमाज़ पढ़ लेते थे।
(मिश्कात , मायूजिबुल वूजू, सफहा ४१)
नींद से वुजू तब टूटता है जबके यह दोनो शर्तें पाई जाएं ।
१: दोनो सुरीन उस वक्त खूब जमे न हों।
२: सोने की हालत गाफिल होकर सोने से मानेअ न हो।
(फतवा रजविया , जिल्द १ , सफहा ७१)
चित या पट या करवट से लेट कर सोने से वुजू टूट जाता है ।
उंकडू बैठा हो और टेक लगा कर सो गया तो भी वुजू टूट जाएगा ।
पांव फैला कर बैठे बैठे सोने से वुजू नही टूटता चाहे टेक लगाए हुए हो।
खड़े खड़े या चलते हुए या नमाज़ की हालत में कयाम में या रुकु में या दो जानू सीथे बैठ कर या सजदे में जो तरीका मर्दों के लिए सुन्नत है उस पर सो गया तो वूजू नही जाएगा।
हां अगर नमाज़ में नींद की वजह से जमीन पर गिर पड़ा अगर फौरन आंख खुल गई तो ठीक वरना वुजू जाता रहा ।
बैठे हुए ऊंघने और झपकी लेने से वुजू नही जाता।
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