मर्दों का एक से ज़्यादा अंगूठी पहनना कैसा।
इस्लामी नुकतए नज़र से मर्द को चांदी की सिर्फ एक अंगूठी एक नग की पहनना जाइज़ है जिसका वज़न साढ़े चार माशे (4.357 ग्राम) से कम हो। इसके अलावा मर्द के लिए कोई जेवर हलाल नहीं। एक से ज्यादा अंगूठी या कोई जेवर किसी भी धात का हो सब गुनाह व नाजाइज है।
मगर आजकल अवाम तो अवाम बाज़ जाहिल नाम निहाद सूफियों और मुखालिफे इस्लाम पीरों ने ज़्यादा से ज़्यादा अंगूठी पहनने को अपने ख़्याल में फकीरी व तसव्वुफ समझ रखा है यह एक चांदी की शरई अंगूठी से ज्यादा अंगूठिया पहनने वाले ख़्वाह वह सोने की हों या चांदी की या और किसी धात की सब के सब गुनाहगार हैं और इस लाइक नहीं कि उन्हें पीर बनाया जाए। हमारे कुछ भाई तांबे, पीतल और लोहे के छल्ले पहनते हैं और उन्हें दर्द और बीमारी की शिफा ख्याल करते हैं यह भी ग़लत है। और इलाज के तौर पर भी नाजाइज़ जेवरात छल्ले वगैरा पहनना जाइज़ नहीं है।
(फतावा रजविया, जिल्द १०, निस्फे अव्वल, सफहा १४)
कुछ लोग यह कहते हैं कि यह छल्ला या अंगूठी हम मक्का, मदीना या अजमेर से लाए हैं। अगर वह खिलाफे शरअ है तो मक्के, मदीने, अजमेर के बाज़ार में बिकने से हलाल नहीं हो जाएगी।
भाईयो! आप तो आज वहाँ के बाज़ारों से लाए हैं और यह नाजाइज होने का हुक्म चौदा सौ साल कब्ल वहीं से आ चुका है। खुलासा यह कि मुकद्दस शहरों में बिकने से हराम चीज हलाल नहीं हो जाती।
भाईयो! अल्लाह तआला से डरो और नाजाइज अंगूठिया, जेवरात, कडे, छल्ले पहन कर अल्लाह की नाफरमानी न करो।
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