नात शरीफ-अब तो बस एक ही धुन है के मदीना देखूं.
हां आखरी उम्र में क्या रोनाके दुनिया देखूं
अब तो बस एक ही धुन है के मदीना देखूं
2-जालियां देखूं के दिवारे दरों मामें हरम
अपनी माज़ूर निगाहों से में क्या-क्या देखूं
अब तो बस एक ही धुन है______
3-में कहां हूं ये समझ लूं तो उठाऊं नजरें
दिल जो संभले तो में फिर गुम्बदे खजरा देखूँ
अब तो बस एक ही धुन है______
4-मेरे मौला मेरी आंखे मुझे वापस कर दे
ताकि इस बार में जी भर के मदीना देखूं
अब तो बस एक ही धुन है______
5-अब तो बस एक ही धुन है के मदीना देखूं
काश एक बार यूंही उम्र बसर हो मेरी
अब तो बस एक ही धुन है______
6-सुबह काबे में तो फिर शाम को तैबा देखूं
अब तो बस एक ही धुन है के मदीना देखूं
अब तो बस एक ही धुन है______
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1-Ab to bas ek hi dhun hai ke madina dekhu
Han aakhri umr me kya rounake duniya dekhu
Ab to bas ek hi dhun hai ke madina dekhun
2-Jaaliyan dekhun ki diwaro daro maame haram
Apni maazur nigahon se me kya-kya dekhun
ab to bs ek hi dhun hai______
3-Me Kahan hun ye samjh lun to uthaun nazre
Dil Jo sambhle to me fir gumbade khazra dekhun
ab to bs ek hi dhun hai______
4-Mere moula meri aakhne mujhe wapas kar de
Taaki is baar me ji bhar ke madina dekhun
ab to bs ek hi dhun hai______
5-Kaash ek baar yun hi umr basar ho meri
Subah kaabe me to fir shaam ko taiba dekhun
Ab to bas ek hi dhun hai ki madina dekhun
...shere it to everyone...
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