नमाज़ के शराइत क्या है ?
इससे पहले कि हम नमाज़ का तरीका बतायें उन छः चीज़ों को बता देना जुरुरी है जिनके बगैर नमाज़ शुरु नहीं हो सकती ।
शरायते नमाज़ किसे कहते है
इन छः चीज़ों को शराइते नमाज कहते हैं । जिनका पूरा होना बोहोत ज़रूरी है।
1-पाकी हासिल करना
2-शर्मगाह को छुपाना
3-नमाज का वक्त होना
4- किब्ला की तरफ मुँह करना 5-नीयत करना
6- तकबीरे तहरीमा (कुतुबे फिकह)
सुवाल: पहली शर्त यानी पाकी का क्या मतलब है ?
जवाब : पाकी का यह मतलब है कि नमाज़ी का बदन उसके कपड़े, नमाज़की जगह सब पाकहों और कोई नजासत (गन्दगी) जैसे पेशाब, पाखाना, खून, लीद, गोबर, मुर्गी की बीट वगैरह न लगी हो और नमाज़ी बे गुस्ल और बेवुजू भी न हो :-
सुवाल : दूसरी शर्त यानी शर्मगाह छुपानेका क्या मतलब है?
जवाब : शर्मगाह छुपाने का यह मतलब है कि मर्द का बदन नाफसे लेकर घुटनों के नीचेतक शर्मगाह है इसलिये नमाज़ की हालत में कम से कम नाफ से लेकर घुटनों के नीचे तक छुपा रहना जुरुरीहै और औरत का पूरा बदन शर्मगाह है इसलिये नमाज़की हालतमें औरत के तमाम बदनका ढका रहना जुरुरी है। सिर्फ चेहरा और हथेली और टखनोंके नीचे क़दमके खुले रहने की इजाज़त है। टखने को भी छुपा रहना चाहिये ।
सुवाल : तीसरी शर्त यानी वक्त का क्या मतलब है ?
जवाब: वक्त का यह मतलब है कि जिस नमाज़ लिये जो वक्त मुकर्रर है वह नमाज़ उसी वक्त में पढ़ी जाये ।
सुवाल : चौथी शर्त यानी किब्लाको मुँह करनेका क्या मतलब है?
जवाब : किब्ला को मुँह करना इस का मतलब ज़ाहिर है। कि नमाज़ में खानए काअबा की तरफ अपना चेहरा करे ।
सुवाल : पाँचवीं शर्त यानी नीयत का क्या मतलब है?
जवाब : नीयत का यह मतलब है कि जिस वक्त की जो नमाज़ फर्ज या वाजिब या सुन्नत या नफ्ल या क़ज़ा पढ़ता हो दिल उसका पक्का इरादा करना कि मैं फुलाँ नमाज़ पढ़ रहा हूँ और अगर दिल के इरादे के साथ ज़बान से भी कह ले तो बेहतर है।
सुवाल : छठी शर्त यानी तकबीरे तहरीमा का क्या मतलब है?
जवाब : तकबीरे तहरीमा यानी अल्लाहु अकबर कहना । जो नमाज़ की आख़िरी शर्त है कि इस के कहते ही नमाज़ शुरु हो गयी। अब अगर नमाज़ के सिवा दुसरा कोई काम किया या कुछ बोला तो नमाज़ टूट गयी।
पहली पाँचों शर्तों का तकबीरे तहरीमा से पहले और नमाज़ ख़त्म होने तक मौजूद रहना जुरुरी है अगर एक शर्त भी न पायी गयी तो नमाज़ नहीं होगी ।
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