नमाज़ में लाउडस्पीकर का इस्तिमाल करना कैसा।
नमाज़ बाजमात में इमाम के लिए लाउडस्पीकर का इस्तमाल आम होता जा रहा है लगभग आम हो ही गया है । और लोगो ने इस पर बहस करने का भी तरीका ढूंढ लिया है । और यह भी नही सोचा की नमाज़ की इस्लाम में क्या अहमियत है बेशक नमाज़ इस्लाम की पहचान है । नमाज़ पैगंबरे इस्लाम की आखों को ठंडक है ।और उनके दिल का आराम है ।
लिहाजा नमाज़ को उसी अंदाज में रहने दें जैसा की हुज़ूर के ज़माने में हुआ करती थी ।
जदीद टेक्नोलॉजी से यह बात खूब साबित हो चुकी है की लाउडस्पीकर से निकलने वाली आवाज़ इमाम की असल आवाज़ नही होती । तो ज़ाहिर है की को लोग इस खरीजी आवाज़ पर इक्तिदा करते है उन सब की नमाज़ खराब हो जाति है और उसी पर भरोसा करके उसके आशिकों ने मकब्बीरों का इंतजाम भी नही किया होता है तो नमाज़ के साथ खिलवाड़ होकर रह जाता है ।
सही बात यह है की जिन उलमाओ ने नमाज़ में लाउडस्पीकर के इस्तिमाल को नजाइज करार दिया , उन्होंने नमाज़ की शान को बाकी रखा , उसके मकाम को समझा । और जिन्होंने छूट दे दी उन्होंने नमाज़ की अहमियत को ही नही समझा । और वह मौलवी होकर भी नमाज़ की लज़्ज़त से नाआशना और उसकी बरकतों हिक्मतों से महरूम रहे।
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