नमाज़ी के सामने से गुज़रना कैसा

नमाज़ी के सामने से गुज़रना कैसा ।

आम तौर से मस्जिदों में देखा गया है की दो शख्स आगे पीछे नमाज़ पढ़ते है यानी एक पिछली सफ में और दूसरा उसके सामने वाली सफ में नमाज़ पढ़ रहा होता है और अगर अगली सफ में नमाज़ पढ़ने वाला पीछे वाले से जल्दी फारिग हो जाता है और फिर उसकी नमाज़ खत्म होने का इंतजार करता रहता है की वह सलाम फेरे तब वो वहां से जाय और इससे पहले हटने को नमाज़ के सामने से गुजरना ख्याल करता है ।

नमाज़ी के सामने से गुज़रना कैसा



हालांकि ऐसा नहीं आगे नमाज़ पढ़ने वाला अपनी नमाज़ पढ़ कर हट जाय तो उस पर गुजरने का गुनाह नही है ।
खुलासा यह है की नमाज़ी के सामने से गुजरना मना है हटना मना नहीं है ।
सद्रुशशरीय हज़रत मौलाना अमजद अली साहब फरमाते है ।

अगर दो शख्स नमाज़ी के सामने से गुजरना चाहते हो तो एक शख्स नमाज़ी के सामने पीठ करके खड़ा हो जाय और दूसरा उसके सामने से निकल जाय और जो शक्श पीठ करके खड़ा हुआ था वो वापस वहीं लोट जाए जिस तरफ से आया था 

इससे साफ ज़ाहिर है की गुजरने को माना किया गया है सामने से हटने को नही गुजरना उसे कहते है की एक तरफ से आया और दूसरी तरफ चला जाय इसे कहते नमाज़ को काटना लेकिन अगर सामने से हटा है तो गुनाह नही किया अगर गुज़रा है तो गुनाह है ।

शेयर करें।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ